Operation Sindoor पर CDS अनिल चौहान का बड़ा खुलासा: फाइटर जेट्स की हुई थी क्षति, परमाणु युद्ध की आशंका को नकारा

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य झड़प “Operation Sindoor” को लेकर देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पहली बार बड़ा बयान दिया है। सिंगापुर में आयोजित Shangri-La Dialogue के दौरान ब्लूमबर्ग टीवी को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने स्वीकार किया कि भारत ने शुरुआत में कुछ फाइटर जेट्स खोए, लेकिन पाकिस्तान के छह जेट गिराने के दावों को सिरे से खारिज कर दिया।

क्या बोले CDS अनिल चौहान?

CDS ने कहा, “मुद्दा यह नहीं है कि जेट गिरे, बल्कि यह है कि वे क्यों गिरे।” उन्होंने स्वीकारा कि भारत की ओर से एक “टैक्टिकल गलती” हुई थी, जिसे दो दिनों में सुधार कर फिर से सभी जेट उड़ान भरने में सक्षम हुए।

जब पत्रकार ने पूछा कि क्या एक जेट सच में गिरा था, तो CDS ने जवाब दिया – “हाँ।” पर साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान द्वारा छह भारतीय जेट (जिसमें चार राफेल बताए गए) गिराने का दावा “बिलकुल गलत” है।

Operation Sindoor में क्या हुआ था?

  • Operation Sindoor 8 मई को उस वक्त शुरू हुआ जब भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल और ड्रोन हमले किए।

  • भारत ने दावा किया था कि उसने PAF (पाकिस्तानी एयर फोर्स) के कई जेट्स, जिनमें F-16 और JF-17 शामिल हैं, को मार गिराया।

  • पाकिस्तान की ओर से उल्टा दावा किया गया कि छह भारतीय जेट्स, जिसमें राफेल भी थे, गिराए गए।

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जनरल का दृष्टिकोण: रणनीतिक गलती और सुधार

CDS ने यह भी जोड़ा कि “गलती को पहचान कर, सुधार कर, दोबारा हमला करना भारत की ताकत का प्रतीक है।” उनका जोर इस बात पर था कि यह युद्ध सिर्फ फिजिकल नहीं बल्कि “मल्टी-डोमेन” था – जिसमें साइबर, सूचना और कूटनीतिक क्षेत्र भी शामिल थे।

जनरल का दृष्टिकोण: रणनीतिक गलती और सुधार

CDS ने यह भी जोड़ा कि “गलती को पहचान कर, सुधार कर, दोबारा हमला करना भारत की ताकत का प्रतीक है।” उनका जोर इस बात पर था कि यह युद्ध सिर्फ फिजिकल नहीं बल्कि “मल्टी-डोमेन” था – जिसमें साइबर, सूचना और कूटनीतिक क्षेत्र भी शामिल थे।

परमाणु युद्ध की संभावना?

पाकिस्तान की मीडिया और सोशल मीडिया पर परमाणु युद्ध की अटकलों को CDS ने खारिज करते हुए कहा – “भारतीय सेना परमाणु मामलों में जिम्मेदार और सूझबूझ वाला  व्यवहार रखती है। ऐसे अस्थायी संघर्षों में परमाणु विकल्प की कोई जगह नहीं है।”

स्ट्रेटेजिक  बदलाव और अंतरराष्ट्रीय मंच पर संदेश

CDS चौहान ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने शायद चीनी सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल किया हो, लेकिन भारत ने पूरी ऑपरेशनल स्वतंत्रता बनाए रखी।

उन्होंने यह भी जोड़ा: “भारत आज जीडीपी, सामाजिक एकता और विकास में आगे है। यह रणनीतिक सोच का परिणाम है। लेकिन यदि पाकिस्तान जवाब नहीं देता तो रणनीतिक दूरी ही उत्तर होती है।”

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रणनीतिक समीक्षा और फौरन सुधार

CDS ने स्वीकार किया कि ऑपरेशन की शुरुआत में एक “टैक्टिकल गलती” हुई थी, लेकिन भारत ने उसे दो दिनों के भीतर सुधारा, अपनी रणनीति को फिर से लागू किया और सभी जेट दोबारा उड़ाए। इसका मतलब है कि अब युद्ध में तेजी से सेल्फ ईवैल्यूऐशन  और संशोधन को प्राथमिकता दी जा रही है।

मल्टी-डोमेन वॉरफेयर की ओर शिफ्ट

जनरल चौहान ने इस ऑपरेशन को “non-contact, multi-domain conflict” कहा, जिसका अर्थ है कि अब भारत केवल पारंपरिक सैन्य बलों पर निर्भर नहीं रहकर साइबर, ड्रोन, मिसाइल, सैटेलाइट और सूचना युद्ध जैसे नए आयामों को भी शामिल कर रहा है।

इंटीग्रेटेड टेक और नेटवर्किंग पर जोर

CDS ने यह भी कहा कि रियल-टाइम नेटवर्किंग और टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन अब ऑपरेशनों का अहम हिस्सा होंगे। इसका मतलब है कि सटीकता, गति और को-ऑर्डनैशन   अब भारत की सैन्य काम काज  के केंद्र में हैं।

ऑपरेशन सिंदूर और हाल की सैन्य झड़पों के बाद, भारत ने साइबर और ड्रोन वॉरफेयर को भविष्य के युद्धों का अहम हिस्सा मानते हुए नई रणनीतियाँ और तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।

स्वदेशी ड्रोन तकनीक पर ज़ोर

  • भारत ने हाल ही में सैन्य-स्तर के स्वदेशी ड्रोन विकसित करने में तेज़ी लाई है, जिनका इस्तेमाल निगरानी, टारगेटिंग और यहां तक कि हथियार गिराने के लिए किया जा सकता है।

  • DRDO और निजी स्टार्टअप्स जैसे ideaForge, NewSpace Research, और Garuda Aerospace मिलकर ड्रोन स्वराज योजना को आगे बढ़ा रहे हैं।

ड्रोन-रोधी रक्षा प्रणाली (Anti-Drone Systems)

  • ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन घुसपैठ को देखते हुए भारत ने DRDO द्वारा विकसित ‘D-4 Anti-Drone System’ को तैनात किया है।

  • यह सिस्टम 4 किमी दूर से ड्रोन को पहचान कर उसे जाम या नष्ट कर सकता है।

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साइबर वॉरफेयर डिवीजन की स्थापना

  • भारत ने Defence Cyber Agency (DCA) की स्थापना की है, जो अब तीनों सेनाओं (थल, नौसेना, वायु) के लिए साइबर ऑपरेशंस, डाटा सुरक्षा, और हैकिंग विरोधी उपाय तय करता है।

  • यह एजेंसी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित थ्रेट प्रेडिक्शन सिस्टम्स का इस्तेमाल कर रही है।

AI और मशीन लर्निंग का उपयोग

  • डिफेंस मंत्रालय ने AI Task Force बनाई है जो भविष्य के युद्धों के लिए मशीन लर्निंग आधारित टारगेटिंग और निर्णय लेने वाली प्रणाली तैयार कर रही है।

  • इनका उद्देश्य “Decision Superiority” हासिल करना है — यानी दुश्मन से पहले सही निर्णय लेना।

साइबर युद्ध की शिक्षा और प्रशिक्षण

  • सेना की प्रतिष्ठित संस्थाओं में अब साइबर वॉरफेयर, एथिकल हैकिंग और डिजिटल युद्ध पर विशेष पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं।

  • Military College of Telecommunication Engineering (MCTE) में अब साइबर विशेषज्ञों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

  • अमेरिका, इज़रायल और फ्रांस के साथ भारत ने साइबर सुरक्षा और ड्रोन तकनीक में साझेदारी बढ़ाई है।

  • संयुक्त अभ्यासों में इन तकनीकों का अभ्यास भी शामिल किया जा रहा है।

भारत अब पारंपरिक युद्ध की सीमाओं को पार करते हुए “स्मार्ट वॉर” की ओर बढ़ रहा है, जहां ड्रोन, साइबर, AI और डेटा नेटवर्किंग युद्ध की सफलता के नए हथियार बन चुके हैं। भविष्य के लिए यह तैयारी भारत को रणनीतिक बढ़त दिला सकती है।

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने “सिखने, सुधारने और तेज़ प्रतिक्रिया देने” की एक नई रणनीति अपनाई है। अब भारत की सैन्य सोच सिर्फ जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं, बल्कि तकनीकी को-ऑर्डनैशन , साइबर सुरक्षा, डिप्लोमेटिक  संतुलन और तेज़ निर्णय क्षमता पर आधारित है।

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