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“वेनिस फिल्म फेस्टिवल में चमकी Anuparna Roy: पुरुलिया से वेनिस तक का सफर, फिलिस्तीन बयान पर मचा बवाल, Alia Bhatt ने दी बधाई”

विषय सूची

  1. Anuparna Roy की झकझोर देने वाली शुरुआत

  2. पुरुलिया से वेनिस तक का सफर

  3. फिल्म और कहानी की झलक

  4. तारीखें और अहम आंकड़े

  5. बयान और विवाद

  6. माता–पिता की भावनाएँ

  7. जनता और सितारों की राय

  8. गॉसिप और चर्चा

  9. निष्कर्ष और CTA

Anuparna Roy की झकझोर देने वाली शुरुआत

कितनी अजीब बात है! एक ऐसी लड़की, जिसके गाँव में आज भी लड़कियों की जल्दी शादी कर दी जाती है, किताबों की जगह सरकारी राशन बाँटा जाता है… वही लड़की आज दुनिया के सबसे पुराने फिल्म फेस्टिवल में देश का नाम रोशन कर रही है।
7 सितंबर 2025 को Anuparna Roy ने वेनिस फिल्म फेस्टिवल (82वाँ एडिशन) में Orizzonti सेक्शन की बेस्ट डायरेक्टर ट्रॉफी जीतकर इतिहास बना दिया।

पुरुलिया से वेनिस तक का सफर

Anuparna Roy का बचपन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले के नारायणपुर गाँव में बीता। स्कूल वहीं, फिर कॉलेज कुल्टी में। पढ़ाई के बाद दिल्ली जाकर मास कम्युनिकेशन किया। लेकिन नौकरी में मन नहीं लगा, और मुंबई आ गईं।
मुंबई में उन्होंने आईटी और दूसरी नौकरियाँ कीं, किराए पर कमरों में रहीं, लेकिन दिल हमेशा फिल्मों में था। कई साल संघर्ष किया और आखिरकार Songs of Forgotten Trees नाम की फिल्म से बड़ा धमाका किया।

anuparna roy

फिल्म और कहानी की झलक

फिल्म Songs of Forgotten Trees दो प्रवासी महिलाओं की कहानी है।

  • पहली महिला अभिनेत्री बनने का सपना देखती है, लेकिन पार्ट-टाइम सेक्स वर्क भी करती है।

  • दूसरी महिला कॉल सेंटर में नौकरी करती है और अच्छा वर ढूँढ रही है।

मुंबई जैसे शहर में दोनों की दोस्ती और संघर्ष को अनुपर्णा ने बेहद संवेदनशील तरीके से दिखाया।

तारीखें और अहम आंकड़े

तारीखघटना
1 सितम्बर 2025फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर, वेनिस फेस्टिवल के Orizzonti सेक्शन में
7 सितम्बर 2025अनुपर्णा रॉय को मिला बेस्ट डायरेक्टर का पुरस्कार
18 फिल्मेंOrizzonti सेक्शन में चुनी गईं, जिनमें एकमात्र भारतीय फिल्म थी Anuparna Roy की

 

बयान और विवाद

पुरस्कार लेते समय Anuparna Roy ने भावुक होकर कहा:
“हर बच्चे को शांति, आज़ादी और सुरक्षा का अधिकार है… फिलिस्तीन भी अपवाद नहीं है। हो सकता है मेरे देश को ये पसंद न आए, लेकिन अब मुझे फर्क नहीं पड़ता।”

बस, यहीं से बवाल शुरू हुआ।
कुछ लोगों ने कहा कि वो राजनीति घसीट रही हैं, तो कुछ ने सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया।

 

माता–पिता की भावनाएँ

उनके पिता ब्रह्मानंद रॉय ने कहा:
“लोगों ने बात को गलत समझा। उसने तो सिर्फ इतना कहा कि हर बच्चे का हक है शांति और सुरक्षा पर। इसमें गलत क्या है?”

माँ मनीषा रॉय ने कहा:
“जिस बेटी ने देश का नाम रोशन किया, वही अब निशाने पर है? क्या बच्चों के लिए बोलना गुनाह है?”

जनता और सितारों की राय

– सोशल मीडिया पर बहस गर्म रही, लेकिन बहुत से लोगों ने Anuparna Roy  का समर्थन किया।
– बॉलीवुड से आलिया भट्ट ने कहा, “यह एक खूबसूरत पल है।”
प्रियंका चोपड़ा ने भी ट्वीट करके बधाई दी और लिखा कि यह भारत के लिए गर्व का क्षण है।

गॉसिप और चर्चा

फिल्मी गलियारों में यह भी चर्चा है कि Anuparna Roy को अब बड़े प्रोजेक्ट्स के ऑफर मिल रहे हैं। सुना जा रहा है कि एक अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन हाउस ने उनसे कॉन्टैक्ट किया है।
कुछ लोग तो मज़ाक में कह रहे हैं—“कल तक जो मुंबई में किराए के कमरे में रहती थी, वही अब दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म डायरेक्टरों की लिस्ट में शामिल हो गई।”

निष्कर्ष और CTA

Anuparna Roy की कहानी बताती है कि

  • गाँव की लड़की भी बड़े सपने पूरे कर सकती है।

  • संघर्ष और मेहनत कभी बेकार नहीं जाते।

  • और हाँ, सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, समाज की सच्चाई भी दिखाता है।

👉 अब सवाल आपसे:
क्या आपको लगता है कि Anuparna Roy का फिलिस्तीन वाला बयान सही था या उन्हें मंच पर सिर्फ अपनी फिल्म तक सीमित रहना चाहिए था?
अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर लिखें।

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