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“Anurag Kashyap का खुलासा: Basil Joseph ने कहा- ‘शक्तिमान’ पर 2 साल बर्बाद किए, बॉलीवुड के ईगो का दर्द भी साझा”

टेबल ऑफ कंटेंट्स

अनुभाग

सामग्री का विषय

1. झकझोर देने वाला खुलासाBasil Joseph का ‘2 साल बर्बाद’ हो जाना
2. पृष्ठभूमि और टाइमलाइनकैसे शुरू हुआ शाक्तिमान प्रोजेक्ट, क्या-क्या हुआ
3. बॉलीवुड के ईगो और संघर्षइंडस्ट्री में बाधाएँ, शक्ति संघर्ष
4. जनता की प्रतिक्रिया तथा सोशल मीडिया की हलचललोगों का क्या कहना है
5. विशेषज्ञों की रायफिल्म इंडस्ट्री के जानकार क्या बोलते हैं
6. वर्तमान स्थिति और भविष्यशाक्तिमान की स्थिति अब, और बेसिल-अनुराग के नए प्रोजेक्ट्स
7. निष्कर्ष एवं कॉल टू एक्शनअंतिम सोच, और पाठकों के लिए संदेश

झकझोर देने वाला खुलासा

मैंने अपनी ज़िंदगी के दो साल बर्बाद कर दिए” — ये बातें हैं मलयालम अभिनेता-निर्देशक Basil Joseph की, जो उन्होंने अनुराग कश्यप को एक हालिया Awards फ़ंक्शन में कही। कश्यप ने Chalchitra Talks इंटरव्यू में बताया कि जब वे Malayala Manorama Awards में मिले, तो Basil Joseph ने बताया कि उन्होंने Shaktimaan फिल्म की तैयारी में दो साल लगाए, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद कुछ भी ठोस आगे नहीं बढ़ा।

 

पृष्ठभूमि और टाइमलाइन

वर्षमुख्य घटना
2021बेसिल ने Minnal Murali डायरेक्ट की, बड़ी सफलता मिली।
2022-2023तरह-तरह की चर्चाएँ हुईं Shaktimaan की: रनवीर सिंह को मुख्य भूमिका में लेने की अफवाहें, प्रोजेक्ट के मेकिंग की योजनाएँ।
2024-अभीप्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में देरी; कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई। बेसिल ने उद्योग की “ईगो” और बाधाओं का ज़िक्र किया।
basil joseph

बॉलीवुड के ईगो और संघर्ष

Basil Joseph ने खुल कर कहा कि Shaktimaan प्रोजेक्ट में सिर्फ तकनीकी या वित्तीय अड़चनों ने तोड़-फोड़ नहीं की, बल्कि बॉलीवुड के अंदरूनी राजनीति-ईगो ने भी बड़े पैमाने पर भूमिका निभाई। उन्होंने पूछा:

“God, how do you survive in that industry?”

अनुराग कश्यप ने कहा कि ये वही बातें हैं जो उन्हें खुद महसूस होती रही हैं, इसीलिए उन्होंने बॉलीवुड से दूरी बनाई और साउथ फिल्मों की ओर झुकाव बढ़ाया।

 

जनता की प्रतिक्रिया तथा सोशल मीडिया की हलचल

  • सोशल मीडिया पर जहाँ Basil Joseph की ईमानदार बातों को सराहा जा रहा है, वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि “बॉलीवुड हमेशा से ऐसा रहा है, बड़े नामों का दबदबा, पैसों का मोर्चा, और नए डायरेक्टर को बीच में टांग अड़ाने वाले कई**।”

  • ट्विटर / X पर एक thread में एक यूज़र ने लिखा:

    “अगर एक ऐसा टैलेंटशाली फिल्ममेकर जैसे बेसिल जोसेफ ‘2 साल बर्बाद’ महसूस कर रहा है, तो सोचो बाकी कितने होंगे!”

  • दूसरी तरफ़ कुछ उपयोगकर्ता सुझाव दे रहे हैं कि बेसिल को प्रोजेक्ट को हल्की शर्तों के साथ या छोटे बजट में लेकर चलना चाहिए था; विवाद कि बजट, स्क्रिप्ट क्लियरेंस और मालिकाना अधिकारों में देरी हो रही होगी।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञटिप्पणी
एक फिल्म पत्रकार“ऐसा नहीं कि सिर्फ पैसे या टेक्नोलॉजी की कमी हो; इंडस्ट्री में ब्रांड, स्टार पावर और कॉन्ट्रैक्चुअल कॉम्प्लिकेशन भी बड़ी रुकावट हैं।”
मनोरंजन कानूनी सलाहकार“ट्रेड-मर्केटिंग कॉन्ट्रैक्ट, IP (इंटेलेक्चुअल प्रॉपरटी) अधिकारों की अस्पष्टता, और प्रोडक्शन हाउसों के बीच झगड़ा अक्सर प्रोजेक्ट को ठप कर देता है।”
साउथ फिल्म इंडस्ट्री से निर्देशक“उत्तर-भारत और मुंबई सेंट्रिक प्रोडक्शन मॉडल में फिट होना आसान नहीं है; जो लोग वहाँ आकर काम करना चाहते हैं उन्हें स्थानीय भाषा, ट्रेड यूनियंस और प्रोडक्शन कल्चर को समझना पड़ता है।”

वर्तमान स्थिति और भविष्य

  • आज Shaktimaan प्रोजेक्ट officiellement आगे नहीं बढ़ा है — कोई शूटिंग शुरू नहीं हुई है, कोई रिलीज़ डेट तय नहीं है।

  • Basil Joseph इस समय अभिनय की ओर ज़्यादा सक्रिय हैं: फिल्मों जैसे Ponman, Maranamass, और Hridayapoorvam में काम किया है।

  • अनुराग कश्यप ने भी बताया कि उन्होंने बॉलीवुड को छोड़ कर दक्षिण भारतीय सिनेमा की तरफ़ काम करने का फैसला किया है, क्योंकि वहाँ उन्हें रचनात्मक स्वतंत्रता और कम बाधाएँ मिलती हैं।

 

निष्कर्ष एवं कॉल टू एक्शन

निष्कर्ष:

Basil Joseph का “दो साल बर्बाद” होना सिर्फ उनका अनुभव नहीं है, बल्कि बॉलीवुड इंडस्ट्री की उन अनकही चुनौतियों की कहानी है, जो आमतौर पर पर्दे के पीछे ही रहते हैं — ईगो, कॉन्ट्रैक्टल पॉलिटिक्स, बड़े नामों की ताकत और असमय आशाएँ। अनुराग कश्यप की राय से साफ़ है कि कलाकारों और निर्देशक किस तरह निजी संघर्ष जूझते हैं। Shaktimaan जैसा प्रोजेक्ट उस तरह से नहीं बना जैसे प्लान किया गया था; यही कहना होगा कि टैलेंट और प्लानिंग के बीच की खाई बहुत गहरी है।

पाठकों के लिए संदेश (CTA):

अगर आपको लगता है कि बॉलीवुड को बदलने की ज़रूरत है — पारदर्शिता, नए प्रतिभाशाली निर्देशकों को मौके देना, और बड़े प्रोडक्शन हाउसों की भूमिका साफ होना चाहिए — तो इस लेख को शेयर करें, टिप्पणी करें कि आप क्या सोचते हैं। क्या आपको लगता है कि Shaktimaan जैसा प्रोजेक्ट कभी सही से पूरा हो पाएगा? अपने विचार नीचे लिखिए।

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