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“Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi पर महिलाओं के जजमेंट्स पर बोलीं Ektaa Kapoor, 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में Guneet Monga व Vidhu Vinod Chopra  संग दिखीं”

सामग्री तालिका (Table of Contents)

खंडविषय
1एक चौंकाने वाला खुलासा और ओपनिंग हूक
2“Kathal” की जीत — आँकड़े और प्रतिक्रियाएं
3‘क्योंकि…’ का रिलीव (revival) और महिला जजमेंट्स का मुद्दा
4बॉडी-शेमिंग: तुलसी का सीन और सार्वजनिक बहस
5मातृत्व, गिल्ट और करियर के बीच तकरार
6सार्वजनिक राय और विशेषज्ञों की राए
7विवाद, गॉसिप और गलतफहमियाँ
8निष्कर्ष एवं CTA (पाठकों से आग्रह)

एक चौंकाने वाला खुलासा और ओपनिंग हूक

क्या आपने कभी सोचा है कि एक शो जिसे आपने लगभग भूल ही दिया हो, वह आपको महिलाओं के प्रति धारणाएँ बदलने की कोशिश करता हो? India Today Conclave Mumbai 2025 में, Ektaa Kapoor ने ऐसा ही कर दिखाया। उन्होंने बताया कि उनका शो “Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi” सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को झकझोर देने वाला माध्यम बन रहा है — महिलाओं पर लगे जजमेंट्स, बॉडी शेमिंग, पारिवारिक अपेक्षाएँ और करियर-माँ बनने के बीच का अंदरूनी संघर्ष।

 

“Kathal” की जीत — आँकड़े और प्रतिक्रियाएं

घटनाविवरण
फिल्मKathal: A Jackfruit Mystery
पुरस्कार71वाँ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, Best Hindi Feature Film श्रेणी में जीत
निर्माताEktaa Kapoor + Guneet Monga
चौंकाने वाला बिंदुफिल्म एक “ड्रामा-कॉमेडी” है जो मजबूत राजनीतिक आलोचनाएँ करती है, और एक ज़रूरी सवाल उठाती है कि क्या डायरेक्ट-टू-OTT / डिजिटल फ़िल्में भी राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता पा सकती हैं

एकता ने बताया कि जब उन्होंने सुना कि Kathal ने पुरस्कार जीत लिया है, तो उन्होंने माँ से कहा — “हमने जीता है।” माँ ने कहा — “एक बार देख लो फिर बोलो।” सबको भरोसा नहीं हुआ कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की फिल्म भी इतनी बड़ा पुरस्कार जीत सकती है।

ektaa kapoor

‘क्योंकि…’ का रिलीव और महिला जजमेंट्स का मुद्दा

“क्योंकि…” (Kyunki…) शो को 18 साल बाद पुनर्जीवित किया गया है। एकता ने बताया कि इस पूरे फैसले के पीछे तीन प्रमुख वजह थीं:

  1. शो की याददाश्त (recall value) — लोग आज भी “क्योंकि…” के पात्रों और कथानक को भुलाए नहीं हैं। 

  2. Smriti Irani की प्रेरणा — उनका जुनून, उनका “never say die” वाला आत्मविश्वास, शो से भावनात्मक जुड़ाव। 

  3. महिलाओं पर हो रहे जजमेंट्स — समाज की अपेक्षाएँ, शरीर, माँ बनने की चुनौतियाँ, करियर के बीच संतुलन। ये सब पहले से ज्यादा बात किए जा रहे हैं — दर्शकों की मांग भी यही है।

बॉडी-शेमिंग: तुलसी का सीन और सार्वजनिक बहस

Ektaa Kapoor ने बताया कि तुलसी (Tulsi) के चरित्र के माध्यम से बॉडी शेमिंग को एक इंटेंशनल सीन बनाया गया। उदाहरण के लिए:

  • तुलसी को जब कोई नहीं देख रहा हो, तो वह खुद को वज़न तौलने वाले तराजू पर खड़े होने की स्थिति से गुज़रती है, क्योंकि उसे अपनी बॉडी को लेकर आत्म-संदेह है।

  • वहीँ उसका पति सामने वज़न बढ़ाने जैसी समस्या नहीं दिखाता। ये सीन दर्शाता है कि महिलाएँ अक्सर छुप-छुप कर जजमेंट सहती हैं।

मातृत्व, गिल्ट और करियर के बीच तकरार

Ektaa Kapoor ने खुलासा किया:

  • उनका बेटा घर पर है, देखभाल उनकी माँ कर रही हैं।

  • “गिल्ट” (पापकर्म की तरह का अपराधबोध) रोज़ का हिस्सा है — क्योंकि माँ होने के नाते उन्हें लगता है कि काम और परिवार दोनों बाधित हो रहे हैं।

  • उन्होंने स्वीकार किया कि वे पारंपरिक माँओं से अलग हैं — जहां अन्य माँएँ छोटे-छोटे पलों जैसे कि बच्चे को किस तरह का केला देना है, किस रंग की गेंद से खेलना चाहिए आदि पर ध्यान देती हैं — एकता उन समूहों में “कम सक्रिय” हैं।

सार्वजनिक राय और विशेषज्ञों की राए

🗣️ सार्वजनिक राय

  • सोशल मीडिया पर लोग एकता के इस कदम की सराहना कर रहे हैं कि उन्होंने मध्यम वर्ग की महिलाओं की रोज़मर्रा की चुनौतियों को टेलीविजन के ज़रिए उठाया है।

  • कुछ दर्शक कह रहे हैं कि “इतना सटीक सीन शायद ही किसी लंबे समय से चल रही सीरियल में देखा गया हो” क्योंकि अक्सर टेलीविजन में सिर्फ ड्रामा और सबकुछ उछालने की बात होती है, न की संवेदनशील सामाजिक मुद्दों को उजागर करने की।

  • वहीं, आलोचक भी हैं — कुछ लोगों का मानना है कि सार्वजनिक मंच पर ये बातें ज्यादा हो रही हैं और शो की असली मंशा व्यापार/ट्रैफिक खींचना है।

👥 विशेषज्ञों की राय

  • मनोरंजन उद्योग के विश्लेषकों के मुताबिक, ऐसे मुद्दे जैसे बॉडी शेमिंग और महिला जजमेंट्स को उजागर करना ज़रूरी है, क्योंकि दर्शक अब सिर्फ “मनोरंजन” नहीं चाहते, वो बदलाव की कहानियाँ चाहते हैं।

  • एक समाजशास्त्री ने कहा, “जब मीडिया खुद उन धारणाएँ चुनने लगे जो महिलाओं को घेरे हुए हैं — जैसे कि उनका शरीर, उनकी मातृत्व की भूमिका — तो उन पर सवाल उठाना बदलाव की पहली सीढ़ी है।”

  • एक टीवी स्क्रिप्ट लेखक ने बताया कि ऐसे सीन लिखना आसान नहीं है, क्योंकि आपको संतुलन बनाना होता है — ड्रामा, संवाद, दर्शक की उम्मीदें — और फिर भी सच्चाई दिखाना होता है।

विवाद, गॉसिप और गलतफहमियाँ

  • राम कपूर का मामला: Ektaa Kapoor ने एक वीडियो शेयर किया। कुछ लोगों को लगा कि यह राम कपूर के वजन घटाने पर तंज है। लेकिन बाद में एकता ने साफ कर दिया कि उनका वीडियो किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं था। वह तो सिर्फ बॉडी शेमिंग, खुद पर शक करने और खुद को अपनाने जैसे मुद्दों पर बात कर रही थीं।

  • गॉसिप: Gautami Kapoor ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी थी और कहा कि “हम वैसे बने वैसा अच्छा हैं जितना हम हैं” — यानी स्वस्थ रहना ज़रूरी है, लेकिन बिना किसी बाहरी दबाव के खुद से प्यार करना चाहिए।

  • विरोधी मत: कुछ लोग ये कहते हैं कि पुराने “क्योंकि…” की चमक कम हो गई है, और ये रिवाइव सिर्फ पुराने नामों की याद ताज़ा करने की कोशिश है, न कि कोई सच्चा बदलाव।

निष्कर्ष एवं CTA

Ektaa Kapoor ने इस Conclave में सिर्फ अपनी कहानी नहीं बताई, बल्कि वो दर्पण दिखाया जो समाज के अंदर लगे दरारें दिखाता है — जहाँ महिलाएँ खुद से ज्यादा समाज की राय से जूझती हैं। ’क्योंकि…’ सिर्फ एक सीरियल नहीं है, एक आयना है। Kathal की राष्ट्रीय पुरस्कार जीत ने साबित कर दिया कि साहसिक कंटेंट की मांग है और वह सराहना भी पा सकता है।

🙋 CTA (पाठकों से आग्रह)

अगर आप ये मानते हैं कि मीडिया को बदलाव की शक्ति है, तो अपनी राय नीचे कमेंट में लिखिए कि आप किन तरह के सीन चाहते हैं जो महिलाओं की जज़्बातों, संघर्षों और असलियत को दिखाएँ। साथ ही इस आर्टिकल को शेयर करें ताकि और लोग इस बहस में शामिल हों!

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