“हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: क्रिकेटर Yusuf Pathan अतिक्रमणकर्ता घोषित – ‘कानून से ऊपर नहीं कोई’”

गुजरात हाईकोर्ट ने वडोदरा में पूर्व क्रिकेटर और तृणमूल कांग्रेस सांसद Yusuf Pathan को सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने का दोषी ठहराते हुए अतिक्रमणकर्ता घोषित किया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि वह उस भूखंड को तुरंत खाली करें, क्योंकि चाहे कोई कितना भी लोकप्रिय हो, कानून सबके लिए बराबर है।

🕒 घटना कब शुरू हुई

  • 2012 में Yusuf Pathan ने वडोदरा म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (VMC) से सरकारी जमीन को खरीदने की अनुमति मांगी। यह जमीन उनके बंगले के पास तंडलजा क्षेत्र में थी। 

  • VMC ने उस भूखंड का मूल्यांकन ₹57,270 प्रति वर्ग मीटर प्रस्तावित किया और बिना नीलामी प्रक्रिया अपनाए उस जमीन को पठान को देने का प्रस्ताव शुरू किया।

  • लेकिन 2014 में राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

  • बावजूद इसके, पठान ने उस भूखंड पर कब्जा बनाए रखा, boundary wall बनाई और ज़मीन पर कब्ज़ा जारी रखा।

⚖️ हाईकोर्ट का फैसला

  • न्यायमूर्त मोना भट्ट की एकल खंडपीठ ने Yusuf Pathan की याचिका को खारिज कर दिया।

  • अदालत ने कहा कि लंबी अवधि से कब्जा करने से अधिकार नहीं बनता जब कोई भुगतान नहीं करता हो या कोई औपचारिक आवंटन आदेश नहीं हो।

  • इसके अलावा, कोर्ट ने विशेष रूप से यह माना कि प्रसिद्धि और सार्वजनिक व्यक्तिगत होने के कारण अधिकारियों और ऐसा व्यक्ति, सांसद होते हुए भी, कानूनों के प्रति ज़िम्मेदारी ज्यादा होती है। कानून का उल्लंघन करने वालों को सशर्त छूट देना गलत संदेश देता है।

yusuf pathan

📐 भूखंड एवं माप

  • भूखंड का आकार लगभग 978 वर्ग मीटर है।

  • यह प्लॉट, Plot No. 90, सर्वे नंबर 22 का है, तंडलजा इलाके में स्थित है।

🔍 Yusuf Pathan का पक्ष

  • Yusuf Pathan ने दावा किया कि उन्हें और उनके भाई इरफ़ान पठान को इस ज़मीन को खरीदने की अनुमति दी जाए, ताकि परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। 

  • उन्होंने यह भी कहा कि दोनों भाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा और प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए ज़मीन आवंटन हो जाना चाहिए।

  • मगर, भूमि आवंटन की औपचारिक प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, न ही राज्य सरकार की अनुमति मिली, जिससे मामला असमंजस में चला गया।

🏛️ VMC और सरकारी पक्ष की दलीलें

  • VMC का कहना है कि Yusuf Pathan को कोई औपचारिक allotment order नहीं मिला। यानी ज़मीन की कानूनी बिक्री या ट्रांसफर नहीं हुआ।

  • राज्य सरकार ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया क्योंकि नीलामी प्रक्रिया को दरकिनार किया गया था, जो नियमों के अनुसार अनिवार्य थी।

  • अदालत ने यह भी महसूस किया कि ज़मीन पर बने boundary wall और कब्जे से न्यायालय प्रणाली की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।

🗣️ जनता और विशेषज्ञों की राय

  • सुनने में आया है कि आम लोग इस फैसले से खुश हैं क्योंकि “सेलिब्रिटी भी कानून से ऊपर नहीं” जैसा संदेश देना ज़रूरी है। न्याय में समानता की अपील हो रही है।

  • कुछ लोग कहते हैं कि यदि अलग-अलग नियम होंगे तो आम नागरिकों का भरोसा न्याय व्यवस्था से उठ जाएगा।

  • एक वकील ने कहा कि अदालत ने सही दिशा में कदम उठाया है। किसी भी व्यक्ति को प्रतिष्ठा की ज़रूरतों के नाम पर नियमों से छूट नहीं मिलनी चाहिए।

yusuf pathan

🔚 निष्कर्ष

अब साफ है कि Yusuf Pathan को वह ज़मीन हटानी होगी — क्योंकि कानूनी दस्तावेज़ और औपचारिक आदेश न होने पर कब्ज़ा अतिक्रमण ही माना जाता है। प्रसिद्धि, पद या रिश्तेदार स्थिति आपको नियम से ऊपर नहीं उठाती। ये मामला एक मजबूत मिसाल है कि कानून सभी के लिए समान है।

📢 आप क्या सोचते हैं?

  • क्या प्रसिद्ध लोगों के मामलों में अक्सर नियमों की दरकार कम होती है?

  • ऐसे मामलों में सरकारी भूमि को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है कि कोई भी अनधिकृत कब्ज़ा न कर सके?

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