📚 विषय सूची (Table of Contents)
क्या है खबर?
कौन है ‘Mauj’ थिएटर ग्रुप?
Ramayan और AI का अनोखा मेल
निर्देशक और कलाकारों की राय
दर्शकों और आलोचकों की प्रतिक्रिया
पाकिस्तानी समाज में संस्कृति का नया रंग
कुछ विवाद, कुछ चर्चा
निष्कर्ष और CTA
🔴 क्या है खबर?
पाकिस्तान के कराची शहर में ‘जय श्रीराम’ गूंजना कोई आम बात नहीं है। लेकिन हाल ही में, एक स्थानीय थिएटर ग्रुप ‘Mauj’ ने AI तकनीक के साथ एक आधुनिक ‘Ramayan’ का मंचन कर सबको चौंका दिया।
कराची आर्ट्स काउंसिल में इस नाटक का मंचन हुआ, जो तकनीक, संस्कृति और कला का अद्भुत संगम बन गया है।
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🎭 कौन है ‘Mauj’ थिएटर ग्रुप?
‘Mauj’ एक प्रगतिशील थिएटर ग्रुप है, जो सीमाओं और धर्मों से परे जाकर कलात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देता है।
इस नाटक का निर्देशन योगेश्वर करेरा ने किया, जो पाकिस्तान में सांस्कृतिक समावेश के लिए जाने जाते हैं।
विवरण | जानकारी |
---|---|
ग्रुप का नाम | Mauj |
मंचन स्थान | Karachi Arts Council |
अवधि | 7-13 जुलाई 2025, हर रात 8 बजे |
निर्देशन | योगेश्वर करेरा |
मुख्य भूमिका | राणा काज़मी (सीता) |

🎭 कौन है ‘Mauj’ थिएटर ग्रुप?
‘Mauj’ एक प्रगतिशील थिएटर ग्रुप है, जो सीमाओं और धर्मों से परे जाकर कलात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देता है।
इस नाटक का निर्देशन योगेश्वर करेरा ने किया, जो पाकिस्तान में सांस्कृतिक समावेश के लिए जाने जाते हैं।
विवरण | जानकारी |
---|---|
ग्रुप का नाम | Mauj |
मंचन स्थान | Karachi Arts Council |
अवधि | 7-13 जुलाई 2025, हर रात 8 बजे |
निर्देशन | योगेश्वर करेरा |
मुख्य भूमिका | राणा काज़मी (सीता) |
🤖 रामायण और AI का अनोखा मेल
नाटक में AI तकनीक, होलोग्राम प्रोजेक्शन, लाइव म्यूज़िक, और डायनामिक लाइटिंग का इस्तेमाल कर रामायण की कथा को विज़ुअली ज़िंदा किया गया।
“रामायण सिर्फ कथा नहीं, एक दृश्य अनुभव है – और AI ने उसे और शानदार बना दिया,” – योगेश्वर करेरा
👨🎤 निर्देशक और कलाकारों की राय
योगेश्वर करेरा का कहना है कि उन्हें नाटक करने से न तो किसी ने रोका और न ही कोई धमकी मिली।
“यह बताता है कि पाकिस्तानी समाज उतना असहिष्णु नहीं है, जितना अक्सर समझा जाता है।”
राणा काज़मी, जिन्होंने सीता की भूमिका निभाई, ने कहा:
“यह मेरे लिए सिर्फ एक रोल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक यात्रा थी। एक मुस्लिम देश में सीता बनना गर्व की बात है।”
🌟 दर्शकों और आलोचकों की प्रतिक्रिया
✅ सराहना:
“रामायण को इतनी सुंदरता से देखना कभी नहीं सोचा था,” – समीना, दर्शक
“AI ने जो किया, वह बॉलीवुड भी शायद ना कर पाए,” – ट्विटर यूजर
🎙️ आलोचकों की राय:
फिल्म समीक्षक उमैर अलवी ने कहा:
“नैरेटिव शानदार था। सेट डिजाइन, लाइटिंग और म्यूज़िक इसे इंटरनेशनल लेवल पर ले गए।”
पहलू | रेटिंग (5 में से) |
---|---|
निर्देशन | ⭐⭐⭐⭐ |
अभिनय | ⭐⭐⭐⭐ |
टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल | ⭐⭐⭐⭐⭐ |
सेट और कॉस्ट्यूम | ⭐⭐⭐⭐ |

पाकिस्तानी समाज में संस्कृति का नया रंग
इस नाटक ने साबित कर दिया कि पाकिस्तान में भी सांस्कृतिक सहिष्णुता और कला के प्रति सम्मान बढ़ रहा है।
“धार्मिक मतभेदों से ऊपर उठकर रामायण को मंच पर लाना, एक साहसिक और खूबसूरत निर्णय है,” – प्रो. फैज़ा अहमद, कराची यूनिवर्सिटी
🌀 कुछ विवाद, कुछ चर्चा
हालांकि सोशल मीडिया पर कुछ कट्टरपंथियों ने इस मंचन को ‘हिंदू एजेंडा’ कहकर आलोचना की।
लेकिन आयोजन स्थल पर कोई विरोध या बाधा नहीं आई, और कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
“इस नाटक से हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल कायम हुई है,” – शाहिद मिर्ज़ा, थिएटर क्रिटिक
🔚 निष्कर्ष: सांस्कृतिक संवाद की मिसाल
रामायण का कराची में मंचन सिर्फ एक नाटक नहीं, बल्कि एक संवेदनशील सांस्कृतिक संवाद है। AI तकनीक, मुस्लिम कलाकार, हिंदू ग्रंथ, और एक मंच — यह सब मिलकर दक्षिण एशिया में कला की शक्ति को दर्शाते हैं।
यह मंचन अंधविश्वास नहीं, संवाद है। यह दिखाता है कि कला की कोई सीमा नहीं होती, और एक पवित्र ग्रंथ की व्याख्या हर मंच पर संभव है — यदि भावना सच्ची हो।
📢 Call to Action (CTA):
💬 आप क्या सोचते हैं? क्या ‘रामायण’ का मंचन पाकिस्तान में एक नई शुरुआत है या सिर्फ कला की जीत?
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