29 मई 2025 को पुणे स्थित नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA) के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। इस बार की पासिंग आउट परेड (POP) सिर्फ एक रूटीन मिलिट्री सेरेमनी नहीं थी, बल्कि एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनी — पहली बार 17 महिला कैडेट्स ने 322 पुरुष कैडेट्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की।
इतिहास की पहली पंक्ति में महिलाएं
वर्ष 2022 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद, NDA ने महिलाओं के लिए अपने द्वार खोले। जुलाई-अगस्त 2022 में 17 महिला कैडेट्स ने NDA की 148वीं कोर्स में दाखिला लिया था। अब, तीन साल की कठोर सैन्य और अकादमिक ट्रेनिंग के बाद, उन्होंने न सिर्फ ग्रेजुएशन पूरी की बल्कि पूरे देश को गर्वित किया।
NDA 148वीं कोर्स के कैडेट्स का आंकड़ा
श्रेणी | संख्या |
---|---|
कुल कैडेट्स | 339 |
पुरुष कैडेट्स | 322 |
महिला कैडेट्स | 17 |
डिग्री देने वाला संस्थान | जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) |

इन 17 महिलाओं में से एक, कैडेट सृजति दक्ष, B.A. स्ट्रीम में प्रथम स्थान प्राप्त कर Chief of Air Staff Trophy और सिल्वर मेडल की विजेता बनीं। यह केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे महिला वर्ग के लिए प्रेरणादायक क्षण था।
NDA भारत की त्रि-सेना (थल, जल और वायुसेना) के लिए कैडेट्स तैयार करता है। तीन साल की कठोर ट्रेनिंग में उन्हें न केवल शारीरिक और मानसिक तौर पर मज़बूत किया जाता है, बल्कि नेतृत्व, रणनीति और देशभक्ति का संस्कार भी दिया जाता है।
जनरल वी.के. सिंह ने की परेड की समीक्षा
परेड की अध्यक्षता पूर्व सेना प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह ने की। उन्होंने इस मौके को “नई सोच और समानता की जीत” बताया। उन्होंने कहा, “महिलाएं अब न सिर्फ सुरक्षा बलों में हैं, बल्कि वे बराबरी की भूमिका में हैं। यह सिर्फ शुरुआत है।”
लोगों की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर ट्रेंड में ‘NDA Girls’
#NDAFirstWomen और #NDAGirls सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड में रहे।
पूर्व सैन्य अफसरों से लेकर आम नागरिकों तक, हर किसी ने महिला कैडेट्स की सराहना की।
एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “आज मेरी बेटी को NDA ज्वाइन करने का सपना दिखाने में कोई हिचक नहीं रही।”
विवाद और चुनौतियाँ भी बनीं चर्चा का विषय
जहां एक तरफ यह दिन गर्व का था, वहीं कुछ मुद्दे भी सामने आए:
कुछ महिला कैडेट्स के अनुसार, प्रशिक्षण में शुरुआत में आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट सिस्टम की कमी रही।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, कॉम्बैट रोल्स में महिलाओं की नियुक्ति को लेकर स्पष्टता अब भी एक सवाल बना हुआ है।
कुछ आलोचकों ने इसे “सिर्फ प्रतीकात्मक कदम” कहकर इसकी गहराई पर सवाल उठाए।
भविष्य की राह: क्या बदलेगा सिस्टम?
अब जब NDA में महिला कैडेट्स की शुरुआत हो चुकी है, सवाल यह है कि:
क्या महिला कैडेट्स को पूर्ण कॉम्बैट यूनिट्स में नियुक्ति मिलेगी?
क्या अगले बैच में महिला कैडेट्स की संख्या बढ़ेगी?
क्या सिस्टम उनके लिए पूरी तरह तैयार है?
इन सवालों के जवाब समय देगा, लेकिन इतना तय है कि ये 17 बहादुर महिलाएं भारतीय सेना में महिला भागीदारी की नींव रख चुकी हैं।
कॉम्बैट रोल्स तक सीमित पहुंच
भले ही महिलाएं NDA से ट्रेनिंग ले रही हों, लेकिन फ्रंटलाइन कॉम्बैट रोल्स जैसे इन्फैंट्री या आर्मर्ड यूनिट्स में उनकी तैनाती अब भी दुर्लभ है।
सिस्टम में बदलाव हो रहा है, लेकिन धीमी गति से।
“हमें NDA में दाखिला मिला है, लेकिन मैदान में उतरने की बराबरी अब भी एक सपना है।” – एक पास आउट महिला कैडेट
संरचनात्मक और लॉजिस्टिक समस्याएं
NDA और आर्मी कैंप्स का इंफ्रास्ट्रक्चर मुख्यतः पुरुषों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
शुरुआत में महिला कैडेट्स को बैरक, वॉशरूम, ड्रेसिंग एरिया, मेडिकल सुविधाएं जैसी मूलभूत ज़रूरतों में भी दिक्कतें आईं।
अब सुधार हो रहा है, लेकिन पूरी तरह महिला अनुकूल माहौल बनने में समय लगेगा।
रोल मॉडल्स और मेंटरशिप की कमी
महिलाएं अब भी संख्या में बहुत कम हैं, जिससे उनके पास सीनियर फीमेल अफसरों से मार्गदर्शन पाने के मौके सीमित होते हैं।
“हमें एक-दूसरे का ही सहारा बनना होगा।” – NDA की पहली बैच की महिला कैडेट
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
जब छोटे शहरों और गांवों की लड़कियां NDA में सशस्त्र बलों की ट्रेनिंग लेते हुए दिखती हैं, तो यह उनके लिए एक जीवंत उदाहरण बनता है कि “कुछ भी असंभव नहीं है।”
माता-पिता भी अपनी बेटियों को अब ऐसे संस्थानों की ओर बढ़ाने में हिचकिचाएंगे नहीं।
Impact Example:
“मेरी बेटी रोज़ NDA की तस्वीरें देख रही है। अब वह भी कहती है – मुझे आर्मी ऑफिसर बनना है।” – एक ट्विटर यूज़र
मीडिया और सिनेमा पर असर
इस ऐतिहासिक घटना के बाद मीडिया, वेब सीरीज़ और फिल्मों में महिला सैन्य अधिकारी के रोल और कहानियां बढ़ सकती हैं।
इससे जनता के बीच महिला सैनिकों की छवि और मजबूत होगी।
कल्पना कीजिए: “गुंजन सक्सेना” जैसी कहानियां अब ज्यादा ‘कॉमन’ होंगी, एक्सेप्शन नहीं।
NDA की 148वीं पासिंग आउट परेड ने इतिहास रच दिया। यह सिर्फ एक सैन्य सेरेमनी नहीं, बल्कि भारत में लैंगिक समानता, सैन्य सुधार और सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन गया। अब भारत की बेटियां भी उन ऊंचाइयों को छू रही हैं जो कभी सिर्फ बेटों के लिए मानी जाती थीं।