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R Madhavan का चौंकाने वाला खुलासा – ‘3 Idiots’ और ‘Rang De Basanti’ जैसी फिल्मों से मिलते हॉलीवुड जैसे पैसे तो कई पीढ़ियों को खिला देता

📑 विषय सूची

  1. R Madhavan ने क्यों उठाया यह मुद्दा

  2. बॉलीवुड बनाम हॉलीवुड: कमाई का फर्क

  3. तीन फिल्मों से ही मिल सकता था पीढ़ियों का खर्च

  4. शाहरुख खान और प्रोड्यूसर बनने का राज

  5. बॉलीवुड में Residuals क्यों नहीं

  6. विशेषज्ञों और लोगों की राय

  7. नतीजा: बदलाव की ज़रूरत

R Madhavan ने क्यों उठाया यह मुद्दा

बॉलीवुड के लोकप्रिय अभिनेता R Madhavan ने हाल ही में एक इंटरव्यू में ऐसा बयान दिया जिसने हर किसी का ध्यान खींच लिया। उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में Residuals (यानि फिल्मों या शो से सालों तक चलने वाली कमाई) का कोई सिस्टम नहीं है। यही वजह है कि भारतीय एक्टर्स अक्सर तुरंत पैसे लेने की सोचते हैं और रिस्क लेने से बचते हैं।

बॉलीवुड बनाम हॉलीवुड: कमाई का फर्क

R Madhavan ने साफ कहा कि हॉलीवुड में स्टार्स अपने पुराने काम से भी सालों-साल कमाई करते रहते हैं। टीवी, स्ट्रीमिंग या दोबारा रिलीज़ से मिलने वाली रकम उन्हें आर्थिक सुरक्षा देती है। इस कारण वे नए प्रयोग और बड़े रिस्क लेने से नहीं डरते।

पहलूहॉलीवुडबॉलीवुड
Residuals/रॉयल्टीहाँ, फिल्मों और शो से सालों भर कमाईनहीं, एक बार पैसे मिलते हैं
आर्थिक सुरक्षाज्यादाकम
क्रिएटिव रिस्कज्यादा लेने की क्षमतासीमित
R Madhavan

तीन फिल्मों से ही मिल सकता था पीढ़ियों का खर्च

R Madhavan ने मज़ाकिया लहजे में कहा –

“अगर भारत में हॉलीवुड जैसा Residuals सिस्टम होता तो ‘3 Idiots’, ‘Rang De Basanti’ और ‘Tanu Weds Manu’ जैसी तीन फिल्मों की कमाई से ही मैं अपनी आने वाली पीढ़ियों को आराम से खिला सकता था।”

उन्होंने कहा कि भारत में एक्टर्स के लिए कोई “पेंशन” जैसी व्यवस्था नहीं है, इसलिए वे सोचते हैं, “अभी जितना मिल सकता है ले लो, पता नहीं अगली फिल्म कब आए।

 

शाहरुख खान और प्रोड्यूसर बनने का राज

इंटरव्यू में R Madhavan से पूछा गया कि शाहरुख खान ने अपने करियर की शुरुआत में ही प्रोड्यूसर बनना कितना सही किया।
इस पर R Madhavan बोले – “हर किसी के लिए एक जैसा फॉर्मूला नहीं होता। टॉप स्टार्स के पास सुरक्षा होती है, इसलिए वे प्रोड्यूसर बन सकते हैं। लेकिन ज्यादातर एक्टर्स के पास इतनी गारंटी नहीं होती।”

बॉलीवुड में Residuals क्यों नहीं

R Madhavan ने बताया कि हिंदी फिल्मों में Residuals के लिए कोई पुख्ता कॉन्ट्रैक्ट या सिस्टम नहीं है। अक्सर एक्टर्स को पेमेंट में गड़बड़ भी मिलती है, लेकिन समय और साधनों की कमी के कारण वे केस नहीं कर पाते।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि स्व. अमरीश पुरी, जिन्होंने स्टीवन स्पीलबर्ग की हॉलीवुड फिल्म में काम किया था, उन्हें आज भी Residuals मिलते हैं। एक और उदाहरण में अदिल हुसैन ने बताया था कि ‘स्टार ट्रेक: डिस्कवरी’ में उनके छोटे से रोल से भी उन्हें हर कुछ महीनों में 5,000–6,000 डॉलर तक की रकम मिल जाती है।

विशेषज्ञों और लोगों की राय

  • फिल्म ट्रेड एनालिस्ट्स मानते हैं कि अगर Residuals सिस्टम भारत में लागू हो जाए तो मिड-लेवल एक्टर्स को भी लंबी अवधि की सुरक्षा मिलेगी।

  • सोशल मीडिया पर फैंस लिख रहे हैं – “माधवन की बात बिल्कुल सही है। आज भी ‘3 Idiots’ और ‘Rang De Basanti’ टीवी पर आती हैं, लेकिन एक्टर्स को कुछ नहीं मिलता।”

  • एक प्रोडक्शन हाउस के मैनेजर ने  कहा – “भारत में Residuals के लिए यूनियन और कानूनी ढांचा चाहिए। तभी बदलाव संभव है।”

R Madhavan

नतीजा: बदलाव की ज़रूरत

R Madhavan का यह बयान बॉलीवुड में रॉयल्टी और Residuals सिस्टम की कमी पर बड़ी बहस छेड़ सकता है। अगर ऐसा सिस्टम लागू होता है तो एक्टर्स को न सिर्फ आर्थिक सुरक्षा मिलेगी बल्कि वे नए और क्रिएटिव प्रोजेक्ट्स करने में भी पीछे नहीं हटेंगे।

📢 निष्कर्ष / Call to Action

R madhavan का यह बयान इंडस्ट्री के लिए एक संकेत है कि बदलाव की ज़रूरत है। अगर आप भी मानते हैं कि बॉलीवुड में Residuals का सिस्टम होना चाहिए, तो इस खबर को शेयर कर अपनी राय बताइए। कौन जानता है आपकी आवाज़ ही इंडस्ट्री में सुधार की शुरुआत कर दे।

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