वृंदावन में Monkey बना ‘jewel thief’: 20 लाख के गहनों से भरा बैग लेकर भागा, बांके बिहारी मंदिर के पास मचा हड़कंप

Table of Contents

  1. घटना की पूरी जानकारी

  2. कौन था पीड़ित?

  3. कैसे हुआ यह सब?

  4. स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

  5. पुलिस की कार्रवाई

  6. CCTV फुटेज और रेस्क्यू ऑपरेशन

  7. सोशल मीडिया पर चर्चा और मज़ाक

  8. पहले भी हुई ऐसी घटनाएं

  9. विशेषज्ञों की राय

  10. निष्कर्ष और भविष्य की चेतावनी

Jewel Thief घटना की पूरी जानकारी

उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के पास एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक बंदर ने श्रद्धालु का बैग झपट लिया। इस बैग में करीब 20 लाख रुपये के गहने थे। यह मामला शुक्रवार को सामने आया, जिससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया।

कौन था पीड़ित?

पीड़ित अभिषेक अग्रवाल, अलीगढ़ निवासी एक हीरे के व्यापारी हैं। वह अपने परिवार के साथ मंदिर दर्शन के लिए आए थे। उनकी पत्नी ने मंदिर में दर्शन करते वक्त अपने गहने उतारकर बैग में रखे थे।

Monkey becomes 'Jewel Thief' in Vrindavan: Ran away with a bag full of jewels worth 20 lakhs near Banke Bihari temple

कैसे हुआ यह सब?

जैसे ही परिवार दर्शन करके लौट रहा था, अचानक एक बंदर ने उनकी पत्नी के हाथ से बैग छीन लिया और तंग गलियों में गायब हो गया। स्थानीय लोग दौड़े, लेकिन बंदर ने किसी को मौका नहीं दिया।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि यह पहली बार नहीं हुआ। “यहां बंदर बहुत शरारती हैं। कभी मोबाइल, कभी चश्मा, कभी बैग ले जाते हैं। पुलिस को अब स्थायी समाधान निकालना चाहिए,” एक दुकानदार ने कहा।

पुलिस की कार्रवाई

सूचना मिलते ही बांके बिहारी पुलिस चौकी प्रभारी प्रशांत कपिल मौके पर पहुंचे और खोजबीन शुरू की। 8 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद, एक झाड़ी में बैग बरामद हुआ। सौभाग्यवश, सभी गहने सुरक्षित थे।

CCTV फुटेज और रेस्क्यू ऑपरेशन

CCTV फुटेज की मदद से पुलिस ने उस स्थान की पहचान की जहां बंदर भागा था। खोजबीन में अंततः बैग एक झाड़ी में मिला।

Monkey becomes 'Jewel Thief' in Vrindavan: Ran away with a bag full of jewels worth 20 lakhs near Banke Bihari temple

सोशल मीडिया पर चर्चा और मज़ाक

घटना की जानकारी फैलते ही सोशल मीडिया पर मीम्स और चुटकुलों की बाढ़ आ गई। लोगों ने बंदर को ‘मोदर्न डाकू’ और ‘Vrindavan का चोर नंबर 1’ जैसे नाम दे दिए।

पहले भी हुई ऐसी घटनाएं

मार्च 2025 में, एक बंदर ने Samsung S25 Ultra मोबाइल फोन लेकर भाग गया था और उसे एक आम के रस के बदले लौटाया।

विशेषज्ञों की राय

पर्यावरणविद् और वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि श्रद्धालुओं की भीड़ और खाना ले जाने की प्रवृत्ति से बंदर आक्रामक हो जाते हैं। उन्हें समय पर खाना न मिलना और इंसानों के व्यवहार की नकल करना भी वजह हो सकती है।

निष्कर्ष और भविष्य की चेतावनी

यह घटना सिर्फ मज़ाक नहीं, एक गंभीर चेतावनी है। श्रद्धालुओं को कीमती सामान साथ लाने से बचना चाहिए और मंदिर प्रशासन को बंदरों की बढ़ती गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।

Monkey becomes 'Jewel Thief' in Vrindavan: Ran away with a bag full of jewels worth 20 lakhs near Banke Bihari temple

“क्या बंदरों के खिलाफ कोई स्थायी समाधान है?” खासकर उन क्षेत्रों में जैसे वृंदावन, जहां बंदर धार्मिक स्थलों, पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुके हैं।

यहाँ कुछ संभावित स्थायी और व्यावहारिक समाधान दिए गए हैं, जो विशेषज्ञों और प्रशासनिक प्रयासों के आधार पर सामने आए हैं:

प्राकृतिक आवास की बहाली 

  • शहरीकरण और जंगलों की कटाई से बंदरों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो गया है।
  • पेड़ लगाने, फलदार पौधों की बहाली से बंदरों को जंगलों में ही भोजन मिलेगा।

बंदरों का नसबंदी कार्यक्रम 

  • कई शहरों में सफल प्रयोग हुए हैं जहां नर बंदरों की नसबंदी कर उनकी संख्या को सीमित किया गया।
  • यह मानवीय और वैज्ञानिक तरीका है जिससे जनसंख्या धीरे-धीरे नियंत्रित होती है।

बंदरों को जंगलों में स्थानांतरित करना  

  • ट्रैपिंग कर बंदरों को संरक्षित वनों या अभयारण्यों में शिफ्ट किया जाता है।

  • लेकिन यह तभी कारगर है जब उनकी वापसी को रोका जाए और स्थानीय वन विभाग सहयोग करे।

खाद्य बर्बाद करने पर नियंत्रण 

  • मंदिरों और बाजारों में फैला खाना बंदरों को शहरी इलाकों की ओर खींचता है।
  • कूड़ेदानों को बंद करना, प्रसाद वितरण पर नियंत्रण, और खाद्य बर्बादी  का प्रबंधन ज़रूरी है।

Monkey becomes 'Jewel Thief' in Vrindavan: Ran away with a bag full of jewels worth 20 lakhs near Banke Bihari temple

जागरूकता अभियान  

  • बंदरों को खाना न खिलाने की अपील, जुर्माने का प्रावधान, और स्थानीय लोगों को शिक्षित करना।

  • यह मानव-बंदर संघर्ष को कम करने में कारगर होता है।

क्या समस्या कभी पूरी तरह खत्म हो सकती है?

  • पूरी तरह नहीं, लेकिन इसे संतुलित और नियंत्रित जरूर किया जा सकता है।

  • स्थायी समाधान केवल जनसंख्या नियंत्रण, प्राकृतिक आवास की बहाली, और स्थानीय भागीदारी से ही संभव है

"भगवान की कृपा और पुलिस की तत्परता से हमें हमारे गहने वापस मिल गए," - अभिषेक अग्रवाल

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