YouTube क्रिएटर्स पर ANI की कॉपीराइट कार्रवाई या जबरन वसूली? बढ़ते स्ट्राइक, धमकियां और ‘रैंसम डिमांड’ पर सवाल

भारतीय डिजिटल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई है, जहां प्रमुख समाचार एजेंसी एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (ANI) पर आरोप लग रहे हैं कि वह YouTube क्रिएटर्स के खिलाफ कॉपीराइट स्ट्राइक का उपयोग कर रही है, जिससे उन्हें भारी भरकम राशि चुकाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह विवाद न केवल स्वतंत्र पत्रकारिता पर प्रभाव डाल रहा है, बल्कि भारतीय कॉपीराइट कानून और YouTube की नीतियों पर भी सवाल उठा रहा है।

क्रिएटर समुदाय में हलचल

ANI ने कई YouTube क्रिएटर्स पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उन्हें स्ट्राइक भेजी हैं। रिसर्च  के अनुसार, ANI इन क्रिएटर्स से 15 लाख से 40 लाख रुपये तक की राशि मांग रही है, जिससे उनके चैनल बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। ANI का कहना है कि यह कानूनी अधिकारों का पालन है, लेकिन क्रिएटर्स इसे जबरन वसूली के रूप में देख रहे हैं।

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ध्रुव राठी की प्रतिक्रिया

प्रसिद्ध YouTuber ध्रुव राठी ने इस मुद्दे पर ANI की आलोचना करते हुए कहा, “पूरा समर्थन आपके साथ है। ऐसा लगता है कि ANI एक जबरन वसूली रैकेट चला रही है। सभी क्रिएटर्स को इसके खिलाफ एकजुट होना चाहिए।” उनकी यह टिप्पणी क्रिएटर समुदाय में ANI की नीतियों के खिलाफ बढ़ते असंतोष को दर्शाती है।

नीति, शक्ति और ‘फेयर यूज़’ की लड़ाई

भारतीय कॉपीराइट कानून की धारा 52(1)(a)(iii) के तहत समाचार रिपोर्टिंग और समसामयिक घटनाओं की रिपोर्टिंग को ‘फेयर डीलिंग’ के अंतर्गत माना गया है। हालांकि, ANI का दावा है कि उनके वीडियो क्लिप्स का उपयोग बिना अनुमति के किया गया है, जो कॉपीराइट उल्लंघन है। यह विवाद यह सवाल उठाता है कि समाचार एजेंसियां और स्वतंत्र पत्रकारिता के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।

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सरकारी हस्तक्षेप की मांग

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) ने Google India को पत्र लिखकर YouTube की कॉपीराइट स्ट्राइक नीतियों पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्र पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है। IFF ने सरकार से इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने और उचित समाधान निकालने की मांग की है।

YouTube की भूमिका

YouTube की कॉपीराइट नीति के तहत, यदि किसी चैनल को 90 दिनों में तीन स्ट्राइक मिलती हैं, तो चैनल को बंद किया जा सकता है। यह नीति क्रिएटर्स को कमजोर स्थिति में डालती है, जहां वे कानूनी लड़ाई लड़ने के बजाय समझौता करने को मजबूर हो जाते हैं। ANI जैसी एजेंसियां इस नीति का लाभ उठाकर क्रिएटर्स पर दबाव बना रही हैं।

अन्य उदाहरण

यह पहली बार नहीं है जब कॉपीराइट का उपयोग स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के लिए किया गया है। पिछले साल, Ziiki Media ने कई स्वतंत्र पत्रकारों और चैनलों पर कॉपीराइट स्ट्राइक भेजी थी, जिससे उनके वीडियो डिमॉनेटाइज हो गए थे। हालांकि, बाद में इन स्ट्राइक्स को वापस ले लिया गया था।

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ANI और अन्य समाचार एजेंसियों द्वारा कॉपीराइट स्ट्राइक का उपयोग स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के लिए किया जा रहा है, जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ रही है। सरकार, न्यायपालिका और तकनीकी प्लेटफॉर्म्स को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और एक संतुलित समाधान निकालना चाहिए, ताकि कॉपीराइट का दुरुपयोग न हो और स्वतंत्र पत्रकारिता सुरक्षित रह सके।

YouTube की कॉपीराइट नीति में वर्तमान विवादों और क्रिएटर समुदाय के अनुभवों को देखते हुए, निम्नलिखित बदलाव ज़रूरी माने जा सकते हैं:

1. “Fair Use” की स्पष्ट परिभाषा और संरक्षण

  • क्या बदलना चाहिए: भारत सहित अन्य देशों के लिए “Fair Use” की एक स्पष्ट, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नीति बने जो समाचार, शिक्षा और समीक्षा जैसी श्रेणियों की रक्षा करे।

  • क्यों ज़रूरी है: वर्तमान में “Fair Use” का निर्धारण YouTube की ओर से बहुत सीमित समझ के आधार पर किया जाता है, जिससे कई बार जायज़ कंटेंट भी हट जाता है।

2. “Strike Before Takedown” नहीं, बल्कि “Dispute First” नीति

  • क्या बदलना चाहिए: कॉपीराइट स्ट्राइक लगाने से पहले क्रिएटर को कम से कम 7 दिन का नोटिस और डिस्प्यूट का विकल्प मिलना चाहिए।

  • क्यों ज़रूरी है: कई बार स्ट्राइक से चैनल ही बंद हो जाता है, जबकि मामला विवादित होता है। पहले विवाद का हल निकालना अधिक न्यायसंगत होगा।

3. स्वतंत्र समीक्षा प्रणाली (Third-Party Review Panel)

  • क्या बदलना चाहिए: कॉपीराइट विवादों के लिए एक स्वतंत्र रिव्यू बोर्ड बने जो दोनों पक्षों को सुने और निष्पक्ष फैसला दे।

  • क्यों ज़रूरी है: वर्तमान में प्लेटफॉर्म और शिकायतकर्ता के पास ही सारा अधिकार है। इससे क्रिएटर असहाय महसूस करते हैं।

4. कॉपीराइट क्लेम करने वालों पर ज़िम्मेदारी और दंड

  • क्या बदलना चाहिए: यदि कोई जानबूझकर झूठा या बदनीयती से क्लेम करता है, तो उस पर पेनल्टी लगे और उसकी विश्वसनीयता कम हो।

  • क्यों ज़रूरी है: इससे ANI जैसी संस्थाओं द्वारा कथित “extortion-style” दुरुपयोग रोका जा सकता है।

5. पारदर्शिता रिपोर्ट और पब्लिक लॉग

  • क्या बदलना चाहिए: YouTube को हर महीने यह सार्वजनिक करना चाहिए कि कितने क्लेम आए, कितने खारिज हुए, और कितने झूठे साबित हुए।

  • क्यों ज़रूरी है: इससे क्रिएटर्स को भरोसा मिलेगा कि सिस्टम पारदर्शी है और कोई मनमानी नहीं हो रही।

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6. छोटे क्रिएटर्स के लिए कानूनी सहायता या गाइडेंस

  • क्या बदलना चाहिए: YouTube को अपने Creator Support सिस्टम में कॉपीराइट हेल्पलाइन या लीगल गाइडेंस टीम जोड़नी चाहिए।

  • क्यों ज़रूरी है: नए और छोटे क्रिएटर्स को कानूनी भाषा और प्रक्रिया समझना मुश्किल होता है।

7. “Monetization Hijack” को रोका जाए

  • क्या बदलना चाहिए: जिन वीडियो पर विवाद है, उन पर क्लेम करने वाला बिना कोर्ट के आदेश के विज्ञापन से कमाई न ले पाए।

  • क्यों ज़रूरी है: इससे गलत क्लेम करके पैसे कमाने वाले “कॉपीराइट ट्रोल्स” को हतोत्साहित किया जा सकेगा।

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