भारत की अंतरिक्ष में बड़ी छलांग: Axiom-4 मिशन में शामिल हुए शुभांशु शुक्ला, SpaceX रॉकेट में तकनीकी खराबी से लॉन्च टला

अनुक्रमणिका (Table of Contents)

  1. Axiom-4 मिशन क्या है?

  2. शुभांशु शुक्ला कौन हैं?

  3. भारत की इस मिशन में भागीदारी कैसे हुई

  4. SpaceX की तकनीकी गड़बड़ी

  5. ISRO और NASA की भूमिका

  6. क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

  7. जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया ट्रेंड्स

  8. मिशन से जुड़े कुछ विवाद और गॉसिप

  9. भविष्य की योजनाएं: गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

  10. निष्कर्ष: देरी के बावजूद उम्मीदें ज़िंदा

Axiom-4 मिशन क्या है?

Axiom-4 मिशन, NASA और निजी कंपनी Axiom Space का एक संयुक्त मिशन है, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर मानव मिशन भेजने पर केंद्रित है। इस मिशन के ज़रिए भारत पहली बार ISS तक अपने एक अंतरिक्ष यात्री को भेजने जा रहा है — Group Captain शुभांशु शुक्ला

"India's big leap in space: Shubhanshu Shukla joined the Axiom-4 mission

शुभांशु शुक्ला कौन हैं?

उत्तर प्रदेश के रहने वाले शुभांशु भारतीय वायु सेना में Group Captain हैं। उनके अनुशासन, प्रशिक्षण और वैज्ञानिक सोच ने उन्हें भारत का दूसरा अंतरिक्ष यात्री बना दिया, 1984 में राकेश शर्मा के बाद। वह इस मिशन में 14 दिन ISS पर बिताएंगे, और कई वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लेंगे।

भारत की इस मिशन में भागीदारी कैसे हुई?

भारत और अमेरिका के बीच हुए Artemis Accords समझौते के बाद, अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में कई नए द्वार खुले। ISRO और NASA की दशकों पुरानी साझेदारी, जैसे कि NISAR मिशन, ने आपसी विश्वास बढ़ाया। जून 2023 में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद यह तय हुआ कि भारत Axiom-4 मिशन का हिस्सा बनेगा।

SpaceX की तकनीकी गड़बड़ी

मिशन का लॉन्च 11 जून, 2025 को शाम 5:30 बजे (IST) होना था, लेकिन Falcon 9 रॉकेट में liquid oxygen (LOx) लीकेज के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। यह लीकेज स्टैटिक फायर टेस्ट के बाद पकड़ा गया। SpaceX ने कहा, “LOx लीक की मरम्मत पूरी होने के बाद ही अगली लॉन्च डेट घोषित की जाएगी।”

ISRO और NASA की भूमिका

ISRO ने इस पूरे मिशन की तकनीकी जांच में SpaceX और Axiom के साथ सक्रिय भागीदारी निभाई। ISRO अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा, “लीकेज की जाँच और सुधार के बाद ही लॉन्च को हरी झंडी दी जाएगी।” NASA के साथ मिलकर भारत की भागीदारी इस बात का संकेत है कि हम वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनने की राह पर हैं।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अंतरिक्ष विश्लेषक डॉ. सुरेश जोशी का मानना है, “यह मिशन भारत की अंतरिक्ष कूटनीति का मील का पत्थर है। Axiom जैसे मिशनों से ISRO को बहुत कुछ सीखने मिलेगा जो भविष्य के गगनयान मिशन के लिए अहम होगा।”
वहीं SpaceX के VP William Gerstenmaier ने माना, “इस रॉकेट ने पहले भी Starlink मिशन में उड़ान भरी थी, और उसी दौरान यह लीकेज बच गया था।”

जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया ट्रेंड्स

सोशल मीडिया पर #ShubhanshuShukla, #Axiom4Mission और #IndiaInSpace जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
एक यूज़र ने लिखा, “राकेश शर्मा के बाद कोई और भारतीय अंतरिक्ष में जाएगा, गर्व है!”
वहीं कुछ लोगों ने लॉन्च टलने को लेकर SpaceX की लापरवाही पर सवाल उठाए।

मिशन से जुड़े कुछ विवाद और गॉसिप

कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि इस मिशन में पहले किसी ISRO ट्रेंड वैज्ञानिक को भेजा जाना था, लेकिन बाद में वायुसेना के अधिकारी को प्राथमिकता दी गई। इसके पीछे राजनीतिक और सैन्य संतुलन का कारण बताया गया। हालांकि ISRO ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।

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भविष्य की योजनाएं: गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

ISRO पहले ही गगनयान मिशन की तैयारी में जुटा है, जो पूरी तरह भारतीय रॉकेट से होगा। साथ ही, 2035 तक “भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” स्थापित करने का भी लक्ष्य है। Axiom-4 जैसी साझेदारियाँ भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएंगी।

देरी के बावजूद उम्मीदें ज़िंदा

हालांकि मिशन की लॉन्च में देरी हुई है, लेकिन भारत का ISS मिशन में जाना ऐतिहासिक है। शुभांशु शुक्ला जैसे युवाओं की भागीदारी से भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को नया आयाम मिलेगा। यह देरी महज़ एक तकनीकी पड़ाव है — मंज़िल अंतरिक्ष है।

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